तहसीलदार व चपरासी पर भ्रष्टाचार के आरोप तय
ग्वालियर। विशेष सत्र न्यायाधीश रामजी गुप्ता ने तहसीलदार व उनके चपरासी पर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धाराओं के तहत आरोप तय कर दिए। तहसीलदार ने आरोप पत्र पर आपत्ति की थी, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया था।
लोकायुक्त के विशेष लोक अभियोजक अरविंद श्रीवास्तव ने बताया कि वर्ष 2014 में पिछोर तहसील में रवीश भदौरिया तहसीलदार पद पर पदस्थ थे। इनके कार्यालय में एक फौजी ने नामांतरण के लिए आवेदन दिया। अपनी पिता की जमीन का भाई, मां व खुद के नाम नामांतरण कराना चाहता है, लेकिन तहसीलदार ने नामांतरण रोक दिया। उसके बाद तहसील कार्यालय में तैनात चपरासी राजेन्द्र गुर्जर ने तहसीलदार के नाम 1 लाख रुपए की रिश्वत मांगी। फौजी ने लोकायुक्त पुलिस में शिकायत की। उसने बताया कि मैं तहसीलदार को रिश्वत देना नहीं चाहता हूं। रंगे हाथ पकड़वाना चाहता हूं। टैप रिकार्डर में तहसीलदार के नाम रिश्वत मांगने की वार्ता रिकार्ड हो गई। उसके बाद लोकायुक्त पुलिस ने चपरासी राजेन्द्र गुर्जर को रिश्वत लेते हुए पकड़ लिया, लेकिन मौके पर तहसीलदार रवीश भदौरिया नहीं मिले। लोकायुक्त ने पुलिस तहसीलदार को भी आरोपी बनाया। दोनों के खिलाफ चालान पेश किया। तहसीलदार ने आपत्तियां भी कीं। विशेष लोक अभियोजक श्रीवास्तव ने विरोध किया कि तहसीलदार के खिलाफ पर्याप्त साक्ष्य हैं। तहसीलदार की आपत्तियों को खारिज कर दिया। दोनों पर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत आरोप तय कर दिए।