पैकेट फूड सिस्टम से बचें और लाइफ स्टाइल पर करें कंट्रोल
ग्वालियर / बदलती लाइफ स्टाइल और पैक्ड व जंक फूड के कारण शरीर में कई बीमारियां होने लगी हैं। कई लोगों को आयुर्वेदिक पद्धति की पूरी जानकारी नहीं होती। ऐसे में वे वे एलोपैथी दवाओं का सेवन करने लगते हैं, जबकि आयुर्वेदिक पद्धति से कई बीमारियों को पूरी तरह से समाप्त किया जा सकता है। पेट की खराबी के कारण अधिकतर बीमारियां होती है। पाइल्स, फिशर जैसी बीमारियों को आयुर्वेदिक पद्धति के तहत आने वाले क्षार सूत्र द्वारा पूरी तरह से ठीक किया जा सकता है। आयुर्वेदिक पद्धति को समझने के लिए लोगों को अवेयरनेस की जरूरत है। यह बात मुंबई से आए डॉ. महेश सांघवी ने कही। वे जीवाजी विश्वविद्यालय के हेल्थ सेंटर की ओर से क्षार सूत्र विषय पर शनिवार को हुई वर्कशॉप पर मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित थे। उन्होंने कहा कि हमें पैकेट फूड सिस्टम के सेवन सहित लाइफ स्टाइल को कंट्रोल करने की भी जरूरत है। साथ ही क्षार सूत्र, पंचकर्म जैसी आयुर्वेदिक पद्धतियों को भी समझने की जरूरत है। इस दौरान वक्ताओं ने आयुर्वेदिक पद्धति के फायदों के बारे में भी बताया।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि मुरैना कैंट से आए ब्रिगेडियर सुशीमा विस्वास थे। उन्होंने बताया कि खानपान के असंतुलन के कारण होने वाली बीमारियों में आयुर्वेद के जरिए कुछ ही दिनों में रूटीन वर्क में शरीर रिकवर करने लगता है। भारतीय विद्या पीठ मेडिकल कॉलेज पुणे से आए डॉ. कुनाल काम्टे ने कहा कि जरूरी नहीं कि हर बीमारी का इलाज ऑपरेशन ही हो। हमारे देश में आयुर्वेद सबसे पुरानी पद्धति है, लेकिन कई लोगों को इसके प्रति अवेयरनेस की जरूरत है। मगटुम मेडिकल कॉलेज कोल्हापुर की डॉ. शर्मिला काम्टे ने क्षार सूत्र के माध्यम से पाइल्स, फिस्टूला जैसी बीमारियों के इलाज के बारे में जानकारी दी। इसके अलावा बैक पैन में होने वाली एलफोर, एलफाइव जैसी बीमारियों का इलाज भी आसानी से हो सकता है। हेल्थ सेंटर के डॉ. केके सिजोरिया ने बताया कि जंकफूड आदि के सेवन से पाइल्स जैसी बीमारियों से कई लोग ग्रसित है। आयुर्वेदिक पद्धति का सबसे बड़ा फायदा है कि इसका कोई साइड इफेक्ट नहीं होता ।
वक्ताओं ने बताई इन प्रयासों की आवश्यकता
ये होना चाहिए सरकार के स्तर पर
आयुर्वेद को बढ़ावा देने के लिए उचित फंड उपलब्ध कराया जाए।
इस क्षेत्र में रिसर्च को बढ़ावा दिया जाना चाहिए।
लोगों को आयुर्वेदिक पद्धति के फायदों के बारे में अवेयर किया जाए।
संस्थान के स्तर पर
आयुर्वेदिक पद्धति को प्रमोट करने के लिए कांफ्रेंस, सेमिनार का आयोजन किया जाए।
हर यूनिवर्सिटी में हेल्थ सेंटर ओपन होना चाहिए, ताकि वहां के स्टूडेंट्स भी पंचकर्म, क्षार सूत्र, क्षार कर्म जैसी आयुर्वेदिक पद्धतियों के प्रति अवेयर हो सकें ।