लीड- कुप्रथाओं के सामाजिक और आर्थिक कारणों पर करें काम
ग्वालियर । बालश्रम उन्मूलन और कार्ययोजना के विभिन्न बिंदुओं पर चर्चा के लिए राज्य में संभाग स्तरीय कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है। इसी अनुक्रम में शनिवार को ग्वालियर एवं चंबल संभाग की संभाग स्तरीय कार्यशाला श्रीमंत माधवराव सिंधिया श्रमोदय आवासीय विद्यालय, एयरपार्ट रोड महाराजपुरा में हुई। इसमें सहायक श्रम आयुक्त एचसी शर्मा ने कहा कि बाल श्रम एवं बंधुआ श्रम कुप्रथा समाज के लिए एक अभिशाप है। यह लोकतंत्र में संविधान द्वारा प्रदान किए गए मौलिक अधिकारों का भी हनन है। वर्ष 2011 की जनगणना के आधार पर बाल श्रम की संख्या के अनुसार मध्यप्रदेश चौथे स्थान पर है, जो लोकतांत्रिक समाज के लिए अत्यंत दुख का विषय है। वर्तमान सरकार ने बाल श्रम एवं बंधुआ श्रम उन्मूलन को अपने वचन पत्र में शामिल किया है।
उन्होंने आगे बताया कि बालश्रम एवं बंधुआ श्रम उन्मूलन हेतु बाल एवं कुमार श्रमिक अधिनियम 1986 एवं बंधुआ श्रम प्रथा समाप्ति अधिनियम 1976 के अंतर्गत वैधानिक कार्रवाई के साथ-साथ इन कुप्रथाओं के सामाजिक एवं आर्थिक कारणों पर भी कार्य किया जाना आवश्यक है। कार्यशाला में ग्वालियर एवं चंबल संभाग के सभी जिलों के श्रम विभागीय अधिकारी, श्रम निरीक्षक, जिला बाल श्रम, टास्कफोर्स के सदस्यों के अलावा विभिन्न एनजीओ उपस्थित थे। मुख्य वक्ता के रूप में बचपन अचाओ आंदोलन की स्टेट को-ऑर्डिनेटर निधि दुबे एवं सलमान मंसूरी मौजूद थे।
4 माह में मुक्त कराए 150 बालश्रमिक
कार्यशाला में सभी जिलों के श्रम अधिकारियों ने अपने जिलों में बाल श्रम उन्मूलन के लिए की गई कार्यवाही की रिपोर्ट प्रस्तुत की। दोनों संभाग में विगत 4 माह में अब तक लगभग 150 से अधिक बाल श्रमिकों को मुक्त कराया जा चुका है। वक्ताओं ने कहा कि बाल श्रम एक सामाजिक बुराई है इसलिए कार्ययोजना में बाल श्रम उन्मूलन हेतु समाज के समस्त जिम्मेदार संस्थान जैसे महिला एवं बाल विकास विभाग, पुलिस, शिक्षा, स्वास्थ्य, विधिक सेवा प्राधिकरण, चाइल्ड लाइन आदि सभी को विशेष स्थान दिया है। बचपन बचाओं आंदोलन के तहत सभी को बाल श्रम अधिनियम 1986 किशोर न्याय अधिनियम की जानकारी दी गई।