कर्मों के कारण ही शरीर में रोगों की झड़ी लगी रहती है : गणाचार्य विराग सागर महाराज
भिंड । हर व्यक्ति के जीवन में कई घटनाएं होती हैं। कभी अच्छी तो कभी बुरी, लेकिन आदमी को अच्छी घटनाएं बहुत अच्छी और बुरी घटनाएं खराब लगतीं हैं। घटनाएं क्यों होती हैं यह घटनाएं हमारे जीवन में ही क्यों या सभी के जीवन में क्यों नहीं। ऐसा विचार मन में आ सकता है। मेरे ही कर्म का परिणाम है, लेकिन यह वास्तविक उतार नहीं है। कर्म करने का कारण राग है राग-द्वेष के बिना कोई भी कर्म को किया जाना असंभव है। कर्मों के कारण ही शरीर में रोगों की झड़ी लगी रहती है। यह बात गणाचार्य विराग सागर महाराज ने शनिवार को अतिशय क्षेत्र बरही जैन मंदिर में आयोजित धर्मसभा में श्रद्घालु
आचार्य श्री ने कहा कि इस संसार में सिर्फ तीर्थंकर भगवान ही ऐसे इंसान है जिनके गर्भ में आने से 6 माह पूर्व सभी जगह रत्नों की वर्षा होने लगती है और जन्म होने तक गर्भ में नौ माह तक निरंतर रत्नों की वर्षा होती रहती है। अन्य किसी देवी देवताओं के गर्भ में आने पर रत्नों की वर्षा नहीं होती, जो लोग भविष्य में सर्वोच्च पद को धारण करेगें, जिनका जन्म भगवान बनने के लिया हुआ है, जो जन्म लेकर सबको कल्याण का मार्ग बतलाएंगें और मोक्ष पद को प्राप्त करेंगे। ऐसे इंसान के लिए ही रत्नों की वर्षा होती है। यह कार्य स्वर्ग के देवों द्वारा किया जाता है। यह एक ऊंचे पद को धारण करने वाला एक इंसान है और यह इंसान ही एक दिन जन्म लेकर भगवान बनेगा। जिस व्यक्ति के जितने ऊंचे विचार होते है। वह व्यक्ति उतना ही ऊंचा होता है। उसका पद भी दुनिया में सर्वोच्च होता है। इस दुनिया में मुनि अंसख्यात हो सकते हैं लेकिन तीर्थंकर भगवान बहुत ही कम होते हैं। मुनियों के जन्म होने पर कोई रत्नों की वर्षा नहीं होती, लेकिन कोई महापुरुष जो भविष्य के भगवान बनने वाले हैं, जो सारे जगत का कल्याण करने वाले हैं। ऐसे इंसान के जन्म होने पर निश्चित ही रत्नों की वर्षा गर्भ से लेकर जन्म तक निरंतर होती है।
गर्भोत्सव मनाया गया :
शुक्रवार को गर्भकल्याण के प्रथम दिन आचार्य महाराज ने कहा कि तीर्थकर भगवान की मां के गर्भ में तीर्थंकर भगवान आते ही गर्भोत्सव मनाया जाता है, जिसमें माता को रात में सोलह स्वप्न दिखाई देते हैं। 16 स्वप्न के सोलह फल अलग-अलग होते हैं जो किसुबह होते ही वह तीर्थंकर भगवान के पिता से एक-एक करके सभी स्वप्न का फल पूछती हैं। इस दौरान माता की गोद भराई का कार्यक्रम भी इस गर्भोत्सव में किया जाता है। इसे ही हम सभी लोग गर्भकल्याण के रुप में मनाते हैं।