धर्म की हानि होने पर प्रभु लेते हैं अवतारः राघव ऋृषि
ग्वालियर / जब भी पृथ्वी पर धर्म की हानि हुई है, पाप, अनाचार, अत्याचार बढा है। तब-तब भगवान ने किसी ना किसी रूप में पृथ्वी पर अवतार लिया है। प्रभु ने आताताईयों का संहार कर पुर्न धर्म की स्थापना की है। यह बात श्रीविष्णु महापुराण की कथा सुनाते हुए कथाव्यास राघव ऋृषि महाराज ने कही।
कथाव्यास ने कहाकि भगवान श्रीकृष्ण ने कलयुग में धर्म की स्थापना के लिए श्रीमद् भागवत गीता का उपदेश दिया। साथ ही कंस का अंत कर धर्म की स्थापना की। भगवान श्रीकृष्ण ने अवतार लेकर कंस सहित विभिन्न राक्षसों का संहार किया। भगवान के अवतार लेने पर आकाश में विद्यमान अप्सराएं, किन्नर, सहित सभी अपने-अपने दिव्य स्वरूप में प्रकट हुए । साथ ही नंदबाबा और नंदरानी को भेंट न्यौछावर देकर आंनदित किया। इस अवसर पर भगवान श्रीकृष्ण की दिव्य झांकी सजाई गई। जिसके भक्तों ने दर्शन किए। इस अवसर पर नारायण स्वरूप शर्मा, महेश अग्रवाल, अम्बरीष गुप्ता, रामप्रसाद शाक्य आदि ने भगवान की आरती उतारी।