ग्वालियर। पेयजल और खेती में पानी की कमी नहीं हो इसके लिए सिंधिया राजवंश ने ग्वालियर जिले में 80 से अधिक बांध बनवाए थे। लेकिन वर्तमान समय में इन देखरेख के अभाव में यह सभी बांध खत्म होते जा रहे हैं। लालच के चलते लोगों ने बांधों के गेट तोड़ दिए हैं। वहीं इन बांधों के सभी कैचमेंट भी लगभग खत्म कर दिए गए हैं। इन बांधों की खासियत थी कि यह आपस में एक दूसरे से जुड़े हुए थे। इसके कारण एक बांध के भर जाने के बाद जब उसका पानी ओवरफ्लो होता था तो उस पानी से दूसरा बांध भर जाता था। लेकिन अब यह जुड़ाव भी खत्म कर दिया गया है। ग्वालियर की भौगोलिक स्थिति ऐसी है कि यहां पर हर दो से तीन सालों बाद सूखे की स्थिति बनती है। बारिश भी कम होती है। इसके कारण एक सदी पहले यहां पर खेती भी कम हो पाती थी। इस परेशानी को खत्म करने के लिए सिंधिया राजवंश ने काफी बड़े स्तर पर बांधों का निर्माण कराया था। यह सभी बांध ग्वालियर जिले में निकलने वाली नदियों और पहाड़ियों से बहकर आने वाले पानी पर बनाए गए थे। लेकिन वर्तमान समय में 90 प्रतिशत बांध जर्जर हालत में है। इसका कारण है इंसानों का लालच। दिग्विजय सिंह के शासनकाल में सरकार ने किसानों को छूट दी थी कि वह बांधों के अंदर खेती कर सकते हैं। लेकिन इसमें एक शर्त थी कि बारिश के दौरान पूरे 4 माह तक बांधों में पानी जमा रहेगा। लेकिन अधिकांश बांधों के किसानों ने खेती के लालच में गेट तोड़ दिए। इसके कारण बारिश के मौसम में बहकर आने वाला पानी व्यर्थ ही बह जाता है।
अकेले ग्वालियर जिले में सिंधिया राजवंश द्वारा जिन बड़े 80 बांधों का निर्माण किया था। वह 40 हेक्टेयर क्षेत्रफल से बड़े थे। एक हेक्टेयर में 107639.104 स्कवायर फीट होता हैं। जबकि यह 40 हेक्टेयर में 4305564.16 स्कवायर फीट जगह होती है। इसके साथ ही यह सभी बांध 15 से 30 फीट तक ऊंचे हैं। इसके कारण इनमें लाखों से करोड़ों लीटर पानी तक भर जाने पर एकत्रित हो जाता था।
इन बांधों के अतिरिक्त पेयजल और भूजलस्तर को बढ़ाने के लिए सिंधिया राजवंश ने सैकड़ों की संख्या में बड़े-बड़े कुएं, बाबड़ी और तालाबों की पूरी श्रृंखला तैयार की थीं। लेकिन इनकी ओर तो कोई भी शासकीय अधिकारी देखते तक नहीं है। वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में तालाब, कुंए और बावड़ियों को खत्म कर दिया गया हैं।
यह बांध बने थे ग्वालियर जिले में
ग्वालियर जिले में 40 हेक्टेयर से बड़े बांधों में संथा, आमाआमी तालाब, बड़कागांव तालाब, करई पाटई तालाब, दीवान तालाब आरोन, भदेश्वर स्टॉफ डैम, सेखूपुरा स्टाफ डेम, सिमरिया नम्बर 1 बांध, के.टी.एफ. सी उपखंड क्रमांक 3 , रेहट एवं मोहन का उपखंडीय भंडार , मोहना एवं रेहट , सीता का पुरा एवं संथा, सिरसा बांध, राय का पुरा तालाब, रायपुर बांध, वीरपुर बांध, मामा का बांध, गिरवाई बांध, हनुमान बांध, ओड़पुरा तालाब, बरा तालाब, तिलघना तालाब, रायरू तालाब, अमरोल क्रमांक 2 तालाब, चैत क्रमांक 1 तालाब, चैत क्रमांक 2 तालाब , लखनपुरा तालाब, लावन का पुरा तालाब, नयागांव तालाब, सेंथरी तालाब, सुसेरा पिकअप बियर, भदरौली तालाब, रूद्रपुरा तालाब, मोतीझील तालाब, जबेरा तालाब, खिरिया कुलैथ तालाब, दुबई तालाब, हस्तिनापुर रेजगेज स्टेशन, उदलपाडा तालाब एवं संथा, हिम्मतगढ़ बांध एवं संथा, गडागांव लोअर तालाब, बडागांव अपर तालाब, बडा सरापुरा तालाब, बडेरा फुटकर तालाब, बहादुरपुर तालाब, बंधोली तालाब, अलापुर तालाब, बस्तरी तालाब, भेंगीखुर्द तालाब, बिजौली तालाब, बिल्हैटी तालाब, चमरौली तालाब, डगरू तालाब, डोंगरपुर तालाब, दुहिया तालाब, गौरैया धनेली तालाब, गुठीना तालाब, जखारा तालाब, जमरोह तालाब, जिरेना तालाब, खेरिया तालाब, खेरिया क्रेशर तालाब, रायकापुरा तालाब, रतबई बरनाला तालाब, रतवाई मारूबाल तालाब, रतवाई विलेज तालाब, सोनीबड़ा सौसा तालाब, सुनारपुरा तालाब, ककैटो बांध एवं मुख्य फीडर नहर, पेहसारी बांध एवं नहर प्रणाली , साख नून नहर प्रणाली, खूडावली स्टाप डेम एवं संथा, खेरिया बाराघाटा तालाब, बरई तालाब, चराई रेंहट तालाब एवं नहर प्रणाली, जखा सिमरिया बांध नहर एवं संथा, जखोदा बांध व नहर आदि।
ग्वालियर जिले में स्टेटकाल के 80 से अधिक बांध हैं। इन बांधों की जरूरत के हिसाब से समय समय पर देखरेख की जाती है। कई बांधों के गेट सहित मेड आदि किसानों ने खराब कर दी है। लेकिन अभी तक इन बांधों को ठीक करने की कोई योजना नहीं है। लेकिन हम भी चाहते हैं कि यह बांध ठीक हो जिससे सिंचाई और भूजलस्तर को बढ़ाने में मदद मिलेगी। अब शासन की कोई पॉलिसी आए तो उसके हिसाब से कार्य किया जाएगा।
शंभूदयाल श्रीवास्तव
चीफ इंजीनियर
यमुना कछार