चाहत थी कलेक्टरी की, भेज दिया गैस सूंघने

मुंसीपाल्टी के बड़े साहब माकिन जी एक साल से कलेक्टरी की चाहत में बड़े-बड़ों को साधकर चल रहे थे। इसी बीच सत्ता के लिए धमा-चौकड़ी शुरू हो गई। सबसे पहला निशाना कलेक्टर अनुराग चौधरी बने। एक सप्ताह पहले माकिन जी फुल कॉन्फिडेंट में दिखे तो चर्चा चल निकली कि उन्होंने सबको मैनेज कर लिया है। इसमें कमल दल के लोग भी हैं। अचानक बुधवार को उन्हें गैस राहत भेज दिया। यह सुनकर वे विचलित हो गए। जैसे-तैसे तबादला आदेश जारी नहीं होने दिया। लेकिन विरोधी भी कहां हार मारने वाले थे सो गुरुवार को आदेश सार्वजनिक करवा दिया । चूंकि शहर में 'अमृत' बरस रहा है इसलिए कमल दल के नेताजी सक्रिय हो गए। वह साहब को यहीं रोकने की कोशिश कर रहे हैं। इस कार्य के लिए वे 'हर टेंडर' लेने को तैयार हैं। देखना है कि टेंडर कितने का होता है।


दक्षिण के माननीय के चहेतों की सूची तैयार


प्रदेश में सत्ता परिवर्तन होते ही नगर निगम में अब बहुत कुछ बदलाव की चर्चाएं हैं। सबसे ज्यादा बदलाव दक्षिण के माननीय की आवभगत के लिए लगाए गए कर्मचारियों में होना है। मुंसीपाल्टी के कुछ कर्मचारियों को माननीय के दबाव में इतने 'ऊंचे भाव' दे दिए थे कि वे खुलेआम कुछ भी कह और कर रहे थे। माननीय के दखल के कारण आला अफसर मौन साधे थे। हालांकि पूर्व और ग्वालियर वाले माननीयों ने भी कुछ चहेतों को ऊंचे 'ओहदे' दिलवाया दिए थे, लेकिन वे ज्यादा चर्चा में नहीं थे। अब प्रदेश के हालात पहले जैसे नहीं रहे। लेकिन ग्वालियर और पूर्व के माननीय कमजोर नहीं हुए। इसलिए वहां ज्यादा बदलाव नहीं होगा। दक्षिण में ही स्थितियां बदलेंगी। किसे हटाना और बैठाना है, कौन सा काम होल्ड करना है, मुंसीपाल्टी ने इसकी सूची बनाना शुरू कर दिया है। इससे कर्मचारी चिंतित हैं।



स्मार्ट साहब की धड़कनें तेज


सत्ता बदलाव में स्मार्ट सिटी के स्मार्ट सीईओ की धड़कनें तेज हो गई हैं। ऊंट किस करवट बैठेगा, इस पर चर्चा चल निकली है। वैसे स्मार्ट साहब मझे हुए खिलाड़ी हैं। प्रदेश और देश में कमल दल की सरकार के समय उन्होंने यह पद पाया था। प्रदेश में जब पंजा दल की सरकार आई तो लगा कि अब उन पर संकट आने वाला है। लेकिन स्मार्ट साहब ने ऐसा जादू चलाया कि 'महाराज' को भी खुश कर लिया। अब फिर उठा-पटक का दौर चल निकला है। इससे साहब फिर चिंतित हो गए हैं। हालांकि उन्हें अब भी पूरा भरोसा है, क्योंकि 'महाराज' तो और पावरफुल हो गए हैं। लेकिन कमल दल के कुछ लोगों को उनका पद पर रहना बहुत चुभ रहा है। अब इसमें तालमेल बैठाना है। यदि 'महाराज' की निगाह हटी तो फिर दुर्घटना घटी, अन्यथा तो स्मार्ट साहब का जलवा बरकरार रहेगा।



हैरान, परेशान हैं पंजाधारी


अपने आकाओं के फैसले से पंजा दल के मैदानी क्षेत्र के कार्यकर्ता हैरान-परेशान हैं। अब तक तो वे कमल दल के लोगों को कोस कोस कर अपना काम चला रहे थे। जीडीए, पीडब्ल्यूडी हो अथवा मुंसीपाल्टी, सभी जगह कमल दल के ठेकेदारों को एक-एक कर आईना दिखा रहे थे। वे अपनी पैठ मजबूत करते जा रहे थे। अब एक अनार-सौ बीमार की कहावत हो गई है। सभी जगह काम वही हैं लेकिन पंजा दल के ठेकेदारों की संख्या बढ़ गई है। उधर, कमल दल से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े ठेकेदार फिर सक्रिय हो गए हैं। उन्होंने अपने टेंडर डालने की तैयारी कर ली है। अब अधिकारियों पर पंजा दल का दबाव खत्म हो गया है। 'महाराज' के साथ गए 'नेताजी' भी अपने चहेतों की खुलकर रक्षा करने का साहस नहीं दिखा सकेंगे, क्योंकि कमल दल के ठेकेदार 15 सालों से जो पैठ बनाए हैं।